दिवाली के बाद का दिन कितना अच्छा होता है ,
सुबह - सवेरे निकल जाते हैं गली - मोहल्ले में ,
मिल जाते हैं कितने ही अधजले अनार ,पटाखे ,
स्याह - बुझी तीली से सटी कुछ फुलझड़ी ,
या कुछ अनफूटे - साबुत चकरी या बम ,
जूठन के ढेर में बची - खुची मिठाई ,
खील- बताशे , बर्फी या लड्डू एकाध ,
पार साल तो चली थी हवा बेशुमार ,
पा गए थे पूरा तेल और दिए अपार,
अम्मा ने भी तली थी पूरी- कचोरी और,
हमने जलाई थी रंग- बिरंगे दीपों की कतार,
खूब जम के होती है दिवाली हर बार ,
अपनी बस्ती भी करती है हुल्लड़ ,
दिवाली के बाद ..........हर बार ...............!!!!!
दीपावली का यथार्थ अनुभव करवाया है आपने.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा पूनम जी.
आपको और आपके प्रियजनों को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें|
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
ReplyDeleteसादर
दीपावली पर्व अवसर पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteदीपावली के बाद वली ये कविता बहुत अच्छी लगी !
ReplyDelete"जीवन पुष्प"
www.mknilu.blogspot.com
मनीष कुमार नीलू
सदस्य बन रहा हूं।
दिवाली के बाद भी दिवाली ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteदीपावली की मंगल कामनाएं ...
आपको दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
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