Saturday, July 6, 2013

स्मृति का खज़ाना

दिल के परदों मे जो बंद है,
स्मृति का खज़ाना ....... 
मेरा है सिर्फ मेरा ..... 
माफ करो नहीं बाँट सकती ,
खुदगर्ज़ ...स्वार्थी या मतलबी ,
जो भी कहो ...कुछ भी कहो ,
फरवरी की धूप सा ..... 
हल्का .... सौंधा ...कुनकुना ...
लपेट लेता है मुझे ,
तेरी बाहों की गर्माहट सा........

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  2. वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,,,

    RECENT POST: गुजारिश,

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  3. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [08.07.2013]
    चर्चामंच 1300 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
    सादर
    सरिता भाटिया

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  4. बहुत सुंदर, आभार




    यहाँ भी पधारे
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html

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  5. सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको .

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  6. यादें यादें यादें ... सिर्फ अपने अलेलेपन की साथी रहें तब तक ही ठीक रहता है ...

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  7. स्मृतियाँ कोई छीन भी नहीं सकता. सुंदर भाव सुंदर प्रस्तुति.

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  8. स्मृतियां अक्सर हमें लपेट लेती हैं अपने मे । सुंदर प्रस्तुति ।

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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