Tuesday, August 9, 2011

Zindgi badal rahi hae

जिंदगी बदल रही है , जिंदगानी बदला रही है ,
तेरे - मेरे जीने की कहानी बदल रही है |
एक की कमाई पर चलता था घर ,
अब सब की भी कम पड़ रही है |
नज़र बदल रही है , नज़रिया बदल रहा है ,
नज़रंदाज़ करने का तरीका बदल रहा है |
कहते थे कभी , खा कर जाना ,
अब सुनते हैं "आप खा कर आए होंगे |
बातें होती थी आमने - सामने कभी ,
अब हर किसी से नज़रे चुरा कर मिला रहे हैं |
पोशाक बदल रही है , पहनावे बदल रहे हैं ,
छिपाने की बजाय, दिखाने के अंदाज़ बदल रहे हैं |
रिश्ते बदल रहे हैं , नाते बदल रहे हैं ,
जन्म जन्मातर के साथी बदल रहे हैं |
इसमें आश्चर्य क्या ,
और अचम्भा क्यों ,
वक़्त के साथ ...हम भी बदल रहे हैं .......

Sunday, August 7, 2011

तुम्हारी बड़ी

प्रिय भैय्या ,
राखी - टीका जो भिजवाया था ,
वह अब तक मिल गया होगा |
उसके साथ रखा कार्ड ,
मैने खुद बनाया है ,
अपने हाथों से सजाया है ,
जैसे बरसों पहले ,
तुम्हारे माथे पर ,
रोली - चावल का तिलक सजाती थी |
अब, छोटी से बँधवा लेना ,
और मेरा शगुन भी उसे ही दे देना |
बचपन में ग्यारह रूपए से लेकर ,
कॉलेज में पाँच सौ रूपए मिलने तक |
याद है मैं कितना लड़ जाया करती थी ,
बड़ी होने की धौंस दिखा कर ,
सदा  ज्यादा  ही वसूल कर पाती थी |
पापा भी हमेशा हँस कर कहते ,
अरे मुँह न फुला ,तेरा हक़ है ,ले -ले |
माँ पर आँख दिखा समझाती थी ,
जो मिले , उसमें खुश रहना सीख |
पापा का बटुआ ले माँ को चिढ़ाती,
कमरे से हवा हो जाती थी |
तब नहीं नहीं समझी थी ,
अब समझ गयी हूँ |
नहीं  कुछ नहीं चाहिए ,
बस तुम्हारी कलाई का स्पर्श ,
माथे की छुअन .
और ...
मेरे गाल पर हलकी सी चपत |
हर बार की तरह , इस बार भी ,
वह भी छोटी को दे देना |
तुम्हारी बड़ी .........!!