anubuthi
Sunday, February 19, 2012
तुम्हारा अहसास
बादलों की झिर्रियों से छन के आती कोमल धूप,
बदन पे फैली जैसे हो तेरा कुनकुना स्पर्श .
अलसा गए हम हल्की सी श्यामवर्णी गर्माहट से ,
लपेट ली अपनी ही बाहें कसके अपने ही आप से ,
और लजा गए तेरे मरमरी अहसास से ..............
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