कभी काटे नहीं कटता,
कभी रोके नहीं रुकता
बड़ा अजीब वक़्त है यह ,
हमारे कहने पर नहीं चलता
अगर मिल जाये किसी दिन ,
यह वक़्त जो आमने - सामने
पूछूँगी बस उससे यही ...
रेत की तरह हाथ से फिसलना ही तुम्हारी फितरत है ,
हम जैसे ख्वाबगारों को सताना ही तुम्हारी आदत है
कभी तो किनारे पर थम जाया करो ...
तुम ठहरे मस्त आवारा ही सही ..
कभी तो किसी के बन जाया करो ...
कभी रोके नहीं रुकता
बड़ा अजीब वक़्त है यह ,
हमारे कहने पर नहीं चलता
अगर मिल जाये किसी दिन ,
यह वक़्त जो आमने - सामने
पूछूँगी बस उससे यही ...
रेत की तरह हाथ से फिसलना ही तुम्हारी फितरत है ,
हम जैसे ख्वाबगारों को सताना ही तुम्हारी आदत है
कभी तो किनारे पर थम जाया करो ...
तुम ठहरे मस्त आवारा ही सही ..
कभी तो किसी के बन जाया करो ...