Thursday, February 10, 2011

aek sawal

कभी काटे नहीं कटता,


कभी रोके नहीं रुकता


बड़ा अजीब वक़्त है यह ,

हमारे कहने पर नहीं चलता


अगर मिल जाये किसी दिन ,

यह वक़्त जो आमने - सामने


पूछूँगी बस उससे यही ...

रेत की तरह हाथ से फिसलना ही तुम्हारी फितरत है ,

हम जैसे ख्वाबगारों को सताना ही तुम्हारी आदत है


कभी तो किनारे पर थम जाया करो ...

तुम ठहरे मस्त आवारा ही सही ..

कभी तो किसी के बन जाया करो ...




5 comments:

  1. बहुत सुन्दर......पर वक़्त कब किसी के रोके रुका है......

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  2. रेत की तरह हाथ से फिसलना ही तुम्हारी फितरत है ,
    कभी तो किनारे पर थम जाया करो ..
    सचमुच वक्त कभी नहीं रुकता

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  3. वक्त के साथ बहुत कुछ चलता है , मगर वक्त किसी के लिये नही रुकता है ।
    जो भरते है दम वक को बदलने का, वक्त उनके ही साथ साथ हो लेता है

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