Wednesday, December 12, 2012

साठ या आठ


उम्र है आठ , बच्चे है सात ,
माँ जाए तो क्या ,
जननी तो वही है उनकी ,
जनते ही भूले जनक ,
माता को मिली न फुरसत जो ,
दुलारती- पुचकारती - लढ़ीयाती उसे ,
इन सभी कमियों को ,
पूरी ईमानदारी से पूरा कर रही ,
यह बुजुर्गुया नन्ही सी जान ।
जो नहीं मिला  खुद को कभी,
बाँट रही फिर भी बाकियों को भरपूर ,
मातृत्व के बोझ से दबी,
चिथड़ों मे लिपटी ,
चिथड़ों को संभालती ,
उम्र है आठ , लगती है साठ.....


Monday, December 10, 2012

किताब - सी


वह 
पुरातान ग्रन्थ सी ,
सिर्फ बैठेक की शेल्फ पर सजती हैं  |
वह
सस्ते नॉवेल सी ,
सिर्फ फुटपाथ पर बिकती हैं  |
वह
मनोरंजक पुस्तक सी
उधार लेकर पढ़ी जाती हैं  |
वह
ज्ञानवर्धक किताब सी ,
सिर्फ जरुरत होने पर पलटी जाती हैं  |
गन्दी , थूक, लगी उँगलियों से ,
मोड़ी, पलटी , और उमेठी जाती हैं |

पढ़ो हमें सफाई से ,
एक - एक पन्ना एहतियात से पलटते हुए ,
हम सिर्फ समय काटने का सामान नहीं ,
हम भी इन्सान है , उपहार में मिली किताब नहीं