Saturday, April 7, 2012

वह, नहीं होती वह ,


कमरे के पश्चिमी सिरे की खिड़की के ,
ठंडे कांच से गाल टिका ,
पायताने बैठी लडकी ,
देखे अपने हिस्से का अस्मां ....
गोल घुमती सडक ,
छितरे- छितरे पेड़ ,
बिखरे - बिखरे लोग ,
भीतर पसरी चुप्पी ,
जब बड़ा देती है उब ,
इस खिड़की पर आ जाती है टूट ...!!!

रेशमी - पीली किरणों का ,
सुखद - लापरवाह अहसास ..
गोल - गोल हाथ घुमा ,
पकड़ती - खेलती, झलकती लहरों से...
नाचती - मुस्कुराती - तरंगित,
लपेटती औ होती एकाकार ,
रोम- रोम से निकलती ऊष्मा ,
होता प्रिय मिलन का आभास ,
जुड़ता इन्द्रधनुषी संसार .....

वह,... नहीं होती वह ,
जब होती है उस ,
पश्चिमी खिड़की के पास .......!!!!!!!!!!!





Wednesday, April 4, 2012

no Sorry ...no thank you ..



Sorry यार आज फिर भूल गया ,
क्या करूँ याद ही नहीं रहता ..
ज्यादा देर से तो नहीं खड़ी तू ..
अरे , कोफी ही मंगवा लेती ,
यह साला , शर्मा भी न .
last मिनट पर काम पकड़ा देता है ,
अब मूवी का टाइम तो निकल गया ..
चल माल ही चलते हैं ...
अगली बार कसम से ज़रूर ध्यान रखूंगा.......
चल जाने दे ,मैने उसे रोकते हुए कहा ,
प्यार में क्या Sorry ..क्या thank you ,
हर बार की तरह इस बार भी टाल गयी ..
" हाय जान ,तेरी यही बात तो मुझे बहुत पसंद है ",
वह मस्त window display देखने लगा
और मैं मूक सी उसे ,
न कोई सवाल ,
न कोई जवाब ,
न कोई रोक- टोक ,
न कोई बंधन ,
कितना खुला सा रिश्ता हमारा ,
फिर भी कितना बंधा - बंधा ,
शाम के एक कोने की चादर पकड ,
उड़ चली तेरे साथ - चाँद के पार
पूरी चादर लपेटकर , नहीं करना चाहती ,
अपनी उड़ान को बोझल ..
आज भी वही कोना अपनी तर्जनी पे लपेट ,
उडती हूँ .....क्यूंकि प्यार मैं no Sorry ...no thank you .....


Sunday, April 1, 2012

tan madiralaya

लेते ही तेरा नाम , तन मदिरालय हो गया ..
गूंजने लगी ठुमरी- ग़ज़ल , रोम रोम रागालय हो गया ...
छाया नशा इक सांसों में औ ख्वाइशों का खुलासा हो गया ...
कासी - गुन्धी बाँहों के घेरे में ,मधुमास जीवन हो गया ..
साकी ने उड़ेला जाम रात भर , जग बंजारा हो गया ....