लेते ही तेरा नाम , तन मदिरालय हो गया ..
गूंजने लगी ठुमरी- ग़ज़ल , रोम रोम रागालय हो गया ...
छाया नशा इक सांसों में औ ख्वाइशों का खुलासा हो गया ...
कासी - गुन्धी बाँहों के घेरे में ,मधुमास जीवन हो गया ..
साकी ने उड़ेला जाम रात भर , जग बंजारा हो गया ....
behtreen
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बेहतरीन पोस्ट,....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
very nice.
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteumda post
ReplyDeleteप्रभावशाली प्रस्तुति ।
ReplyDeleteवाह ,.... उनके एक नाम में क्या जादू है .. बहुत खूब ...
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