मशीन में फंस कर कुछ मजदूर कट गए ,
कुछ हुए घायल कुछ सदा के लिए छंट गए ...
मरने वालो के परिवार को मिली पांच लाख की राहत,
ज़ख़्मी के परिजन को मिले महज पचास हज़ार ..
रत्ना ने बांटे अपनी चाल मे लड्डू ,
आखिर बलदेव सिर्फ हुआ हताहत .
पहनी आज ज्यादा ही चटक धोती औ कुछ बड़ा सा टीका..
"सुकर है परमपिता का बच गए वो ,यही बहुत है "
सरकारी अस्पताल में चल रहा है इलाज ,
मशीन में दबने के कारण काटने पड़े दोनों पांव ..
गुजर गया पूरा साल चक्कर काटते - काटते ,
औ चूक गया मुआवजे मे मिला माल ...
घर में होने लगे दाने - दाने के फांके ,
पुरानी धोती पहन रत्ना कर रही दूर के घर काम .
खटिया पे पड़े पड़े बलदेव की भूख कुछ अधिक ही बढ गयी ,
खाने की थाली और रत्ना दोनों पर ही टूटने लगा ,
तन- मन दोनों से हारी रत्ना निस्तेज सी सोचती रही ...
काश पांच लाख ही मिल जाते ...................
बहुत ही मार्मिक और यथार्थ भी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ,
ReplyDeletekadva sach
बहुत खूब !!
ReplyDeleteमेरा नया पोस्ट
प्रेम और भक्ति में हिसाब !
मार्मिक रचना
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक और सटीक रचना...
ReplyDeleteufff bahut marmik behatrin aur sarthak.........haits off for this.
ReplyDeleteअति मार्मिक रचना!!
ReplyDeleteअच्छा लगा
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