मै नहीं तो और कौन करेगा फिक्र ?
मै नहीं तो कौन रखेगा ध्यान ?
यही सोच खटती रही ,
हर किसी की खुशी की खातिर ,
अपने को परे करती रही ,
पर फिर भी किसी को खुश कर न पाई ,
एक की सुनी तो दूजे ने आँख दिखाई ,
इसी उलझन मे दिन- रात निरत रही ...
सुनती हूँ यही बार - बार ,
मत कर इतना प्रयास ,
हर किसी की अपनी जिंदगी ,
करने दे , चलने दे जैसी है,
क्यों लेती अपने सिर बिनबात...
कहना है आसान पर करना मुश्किल ,
करूँ लाख कोशिश ,जब हूँ जुड़ी सबसे ,
कैसे एकदम हो जाऊँ अलग ?
तू अपने प्रति भी है उत्तरदायी,
नहीं बदल सकती हर किसीका नज़रिया ,
तो बदल अपना अंदाज़ ॥
कर कुछ एसा जो हो तेरी मनमरज़ी का ,
एक पल तो तू दे अपने को ,
अब तक खोज रही सब मै अपने को ,
अब कर नई शुरुआत ,
खुद से खुद तक ...............
मै नहीं तो कौन रखेगा ध्यान ?
यही सोच खटती रही ,
हर किसी की खुशी की खातिर ,
अपने को परे करती रही ,
पर फिर भी किसी को खुश कर न पाई ,
एक की सुनी तो दूजे ने आँख दिखाई ,
इसी उलझन मे दिन- रात निरत रही ...
सुनती हूँ यही बार - बार ,
मत कर इतना प्रयास ,
हर किसी की अपनी जिंदगी ,
करने दे , चलने दे जैसी है,
क्यों लेती अपने सिर बिनबात...
कहना है आसान पर करना मुश्किल ,
करूँ लाख कोशिश ,जब हूँ जुड़ी सबसे ,
कैसे एकदम हो जाऊँ अलग ?
तू अपने प्रति भी है उत्तरदायी,
नहीं बदल सकती हर किसीका नज़रिया ,
तो बदल अपना अंदाज़ ॥
कर कुछ एसा जो हो तेरी मनमरज़ी का ,
एक पल तो तू दे अपने को ,
अब तक खोज रही सब मै अपने को ,
अब कर नई शुरुआत ,
खुद से खुद तक ...............