Friday, October 19, 2012

नई शुरुआत ,

मै नहीं तो और कौन करेगा फिक्र ?

मै नहीं तो कौन रखेगा ध्यान ?

यही सोच खटती रही ,

हर किसी की खुशी की खातिर ,

अपने को परे करती रही ,

पर फिर भी किसी को खुश कर न पाई ,

एक की सुनी तो दूजे ने आँख दिखाई ,

इसी उलझन मे दिन- रात निरत रही ...

सुनती हूँ यही बार - बार ,

मत कर इतना प्रयास ,

हर किसी की अपनी जिंदगी ,

करने दे , चलने दे जैसी है,

क्यों लेती अपने सिर बिनबात... 

कहना है आसान पर करना मुश्किल ,

करूँ लाख कोशिश ,जब हूँ जुड़ी सबसे ,

कैसे एकदम हो जाऊँ अलग ?

तू अपने प्रति भी है उत्तरदायी,

नहीं बदल सकती हर किसीका नज़रिया ,

तो बदल अपना अंदाज़ ॥ 

कर कुछ एसा जो हो तेरी मनमरज़ी का ,

एक पल तो तू दे अपने को ,

अब तक खोज रही सब मै अपने को ,

अब कर नई शुरुआत ,

खुद से खुद तक ...............

Tuesday, October 16, 2012

' तू' नर्क द्वार ..

जब मन चाहे तो , बोटी सा है चूमता ,
मन किया तो ,बोटी - बोटी है नोंचता ,
जब हो खुन्नस किसी की ,
करता है बोटी - बोटी अलग ,
मिल जाए तो चटखारता ,
इधर -उधर ,गाहे - बाहे,
दिदे फाड़ है लीलता ,
फिर कहता है फिरता ,
' तू' नर्क द्वार ..... 
वाह ,अजब तेरे नखरे ,

गजब का रुबाब ,
चूस माँस- मज्जा ,
बोटी की तरह है फेंकता .... ॥

Sunday, October 14, 2012

वो एक रात

वो एक रात ,सात जन्मों वाली ,
वो एक शख़्स, उस रात का सरमाया ,
खो गए कहीं उस रात के बाद ..... 
रटता रहा ,हम है एक जान ,
तकता रहा, जो रात भर,
बिछुड़ गया भोर के साथ .... 
लबों को सी , नमी को पी ,
नही की कोई शिकायत ,
जिसको न हो क्द्र ही हमारी ,
उसको क्यों देखे हम मुड़ कर ....