यह जो तरफ महकी - महकी सी हवा भरमाई है ,
कुछ और नहीं पिया , मेरी यादों की गहराई है |
यह जो चारों तरफ उजली - उजली सी धूप खिलखिलाई है ,
कुछ और नहीं पिया , तेरी याद में आँख शरमाई है |
यह जो चारों तरफ हल्की - हल्की सी धुंध छाई है ,
कुछ और नहीं पिया, अपने महामिलन की परछायी है |
Saturday, November 13, 2010
Tuesday, November 9, 2010
tumhara sapnaa
आज , अपनी आँखों में देखा ,
तुम्हारे सपने को देखा |
पाया अपने आप को वहाँ ,
हर जगह सर्वत्र ,
अपलक ताक रहे थे तुम ,
नन्हे बालक की भांति |
और मैं मौन , मुस्कराती ,
भांप रही थी तुम्हारी ,
उत्सुकता तथा आकुलता |
उन कुछ पलों मे ,
गुजर गए अनगिनत युग |
खुली पलक , टूटा सपना ,
तुम थे वहीं , तुम हो जहाँ |
न हो यहाँ , न हो वहाँ |
तन से वहाँ, मन से यहाँ |
Sunday, November 7, 2010
ansuni baat
न तुमने कुछ कहा ,
न मैंने कुछ सुना ,
फिर भी बात हमारी हो गयी |
मेरे आंगन खिला चाँद ,
तेरे आंगन उगा सूरज ,
क्षितिज के पार मुलाकात हमारी हो गयी |
तुमने करी बंद पलकें ,
मैने खोली अलकें ,
स्वप्नों के दरिया मे कश्ती हमारी खो गयी |
तुमने देखा एक ख्वाब ,
मैने जिया वह अहसास ,
दोनों के दिल की धड़कन एक हो गयी................
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