Saturday, May 4, 2013

चाँद के कटोरे से

चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर,
ओक- ओक पी, जिये रात भर ,
भीगी हसरत ,खिले ख्वाब रात भर ,
उनिदी आँख , बहके अरमान रात भर ,
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ... 

अस्फुट स्वर , मदमाते नयन रात भर ,
घुलती रही चाँदनी आँगन रात भर ,
मखमली बोसे बरसते रहे रात भर ,
पीते रहे हम तुम ,जीते रहे रात भर , 
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ॥

Sunday, April 28, 2013

ऐ लड़की तू करती ????

ऐ लड़की .... तू क्या करती ?
फर्श पौंछती...माँजती बर्तन ,
कपड़े धोती ... खाती जूठन |

ऐ लड़की ... तू क्या करती ?
खुरदरी जमीं पे लेटी, गाली सुनती ,
खाती लातें औ सपने बुनती |

ऐ लड़की..... तू क्या करती ?
गाँव से बाहर , इत्ती दूर ,
भय्या का बस्ता ,बाबा की दारू ,
अम्मा की दवाई , घर का खर्चा ।

ऐ लड़की .... तू क्या करती ?
गला हड्डियाँ ,जमाती घर की नींव ,
मूक निगाह, सुनी जुबां,
ऐ लड़की तू करती ????