ऐ लड़की .... तू क्या करती ?
फर्श पौंछती...माँजती बर्तन ,
कपड़े धोती ... खाती जूठन |
ऐ लड़की ... तू क्या करती ?
खुरदरी जमीं पे लेटी, गाली सुनती ,
खाती लातें औ सपने बुनती |
ऐ लड़की..... तू क्या करती ?
गाँव से बाहर , इत्ती दूर ,
भय्या का बस्ता ,बाबा की दारू ,
अम्मा की दवाई , घर का खर्चा ।
ऐ लड़की .... तू क्या करती ?
गला हड्डियाँ ,जमाती घर की नींव ,
मूक निगाह, सुनी जुबां,
ऐ लड़की तू करती ????
फर्श पौंछती...माँजती बर्तन ,
कपड़े धोती ... खाती जूठन |
ऐ लड़की ... तू क्या करती ?
खुरदरी जमीं पे लेटी, गाली सुनती ,
खाती लातें औ सपने बुनती |
ऐ लड़की..... तू क्या करती ?
गाँव से बाहर , इत्ती दूर ,
भय्या का बस्ता ,बाबा की दारू ,
अम्मा की दवाई , घर का खर्चा ।
ऐ लड़की .... तू क्या करती ?
गला हड्डियाँ ,जमाती घर की नींव ,
मूक निगाह, सुनी जुबां,
ऐ लड़की तू करती ????
supereb, sahi vishleshan
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सटीक सुंदर प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
गरीब लड़की की नियति -सुन्दर चित्रण
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest postजीवन संध्या
latest post परम्परा
बहुत सटीक सुंदर प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteजीवन का सत्य
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता |
ReplyDeleteगला हड्डियाँ ,जमाती घर की नींव
ReplyDeleteबहुत मार्मिक सत्य को दर्शाती रचना
बहुत मार्मिकता के साथ सत्य परोसती हैं आप.........हैट्स ऑफ ।
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