चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर,
ओक- ओक पी, जिये रात भर ,
भीगी हसरत ,खिले ख्वाब रात भर ,
उनिदी आँख , बहके अरमान रात भर ,
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ...
अस्फुट स्वर , मदमाते नयन रात भर ,
घुलती रही चाँदनी आँगन रात भर ,
मखमली बोसे बरसते रहे रात भर ,
पीते रहे हम तुम ,जीते रहे रात भर ,
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ॥
ओक- ओक पी, जिये रात भर ,
भीगी हसरत ,खिले ख्वाब रात भर ,
उनिदी आँख , बहके अरमान रात भर ,
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ...
अस्फुट स्वर , मदमाते नयन रात भर ,
घुलती रही चाँदनी आँगन रात भर ,
मखमली बोसे बरसते रहे रात भर ,
पीते रहे हम तुम ,जीते रहे रात भर ,
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ॥
वाह !!! बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: दीदार होता है,
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर,
ReplyDeleteओक- ओक पी, जिये रात भर :)
behtareen..
घुलती रही चाँदनी आँगन रात भर ,
ReplyDeleteमखमली बोसे बरसते रहे रात भर ,
BEHATARIN AUR KHUBSURAT
बहुत खूबसूरत अहसास और उतने ही खूबसूरत शब्द.
ReplyDeleteखूबसूरत अहसास ..
ReplyDeleteवाह बेहद खुबसूरत रचना |
ReplyDeleteबहुत सुंदर ... बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDelete