Saturday, May 4, 2013

चाँद के कटोरे से

चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर,
ओक- ओक पी, जिये रात भर ,
भीगी हसरत ,खिले ख्वाब रात भर ,
उनिदी आँख , बहके अरमान रात भर ,
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ... 

अस्फुट स्वर , मदमाते नयन रात भर ,
घुलती रही चाँदनी आँगन रात भर ,
मखमली बोसे बरसते रहे रात भर ,
पीते रहे हम तुम ,जीते रहे रात भर , 
चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर ॥

8 comments:

  1. वाह !!! बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  2. चाँद के कटोरे से झरी शबनम रात भर,
    ओक- ओक पी, जिये रात भर :)
    behtareen..

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  3. घुलती रही चाँदनी आँगन रात भर ,
    मखमली बोसे बरसते रहे रात भर ,
    BEHATARIN AUR KHUBSURAT

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  4. बहुत खूबसूरत अहसास और उतने ही खूबसूरत शब्द.

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  5. खूबसूरत अहसास ..

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  6. वाह बेहद खुबसूरत रचना |

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  7. बहुत सुंदर ... बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

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