Wednesday, April 18, 2012

तुम कहाँ खो गए ...प्राण



हथेली पे मेहँदी नहीं ,
महल सजाया था ...
तेरे संग मैने,
नया जग बसाया था ...
आँखों में काजल नहीं ,
अरमान लगाया था ,
तेरे संग जीवन का ,
रिश्ता निभाया था ....
मांग में सिंदूर नहीं ,
ख्वाब बसाया था ,
तेरे संग उम्र भर  ,
साथ का वादा निभाया था ,
मंत्रोचारण की अग्नि में ,
अपना अतीत जलाया था ...
भूल सब अपनों को कुछ 
नयों को गले लगाया था ....
मेरे क़दमों की आहट ने ,
तेरा आंगन महकाया था ,
परिक्रमा तो थी ली दोनों ने साथ,
फिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी ...उदास...
तुम कहाँ  खो गए ...प्राण ....मेरे प्राण....

Sunday, April 15, 2012

याद आ रहे हो ...

आज बहुत नाजुक मिजाज है मौसम ,
ऐसे में तुम बहुत याद आ रहे हो ...
सफ़ेद- स्याह बादलों से झड़ती,
चाँदी- सी गिरती नर्म बूंदे...
हवा में है हल्की सी मदहोशी ,
पेड़ो ने झूम- झूम बिखराई पाती सारी...
राह में बिछी चांदनी की खुमारी ,
सर उठा देखूं घनघोर घटा में ,
इक तेरा चेहरा ही नजर आये ..
आज बहुत नाजुक मिजाज है मौसम ,
ऐसे में तुम बहुत याद आ रहे हो ...