हथेली पे मेहँदी नहीं ,
महल सजाया था ...
तेरे संग मैने,
नया जग बसाया था ...
आँखों में काजल नहीं ,
अरमान लगाया था ,
तेरे संग जीवन का ,
रिश्ता निभाया था ....
मांग में सिंदूर नहीं ,
ख्वाब बसाया था ,
तेरे संग उम्र भर ,
साथ का वादा निभाया था ,
मंत्रोचारण की अग्नि में ,
अपना अतीत जलाया था ...
भूल सब अपनों को कुछ
नयों को गले लगाया था ....
मेरे क़दमों की आहट ने ,
तेरा आंगन महकाया था ,
परिक्रमा तो थी ली दोनों ने साथ,
फिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी ...उदास...
तुम कहाँ खो गए ...प्राण ....मेरे प्राण....
पूनम जी ,
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत शानदार रचना ,
एक एक लाइन बेहतरीन
हथेली पे मेहँदी नहीं ,
ReplyDeleteमहल सजाया था ...
तेरे संग मैने,
नया जग बसाया था ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
गहन संवेदना लिए एक बढ़िया पोस्ट।
ReplyDeleteपरिक्रमा तो थी ली दोनों ने साथ,
ReplyDeleteफिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी ...उदास
GAHRI ANBHUTI KE SATH PRABHAVSHALI RACHANA POONAM JI ...KUCHH AISA HI MERE BLOG PR BHI ......AMANTRAN SWEEKAREN
एक नव नवेली दुल्हन का प्यार और भावना को बखूबी से दर्शाया गया है
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुती
अगर आपका मेरे ब्लॉग पर आगमन होता हैं तो ये मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी की बात होगी... आभार
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ReplyDeleteफिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी ...उदास...
ReplyDeleteतुम कहाँ खो गए ...प्राण ....मेरे प्राण....
ati sanvedanashiil rachana ,
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteमार्मिक ....
ReplyDeleteदुल्हन के भावो की मार्मिक प्रस्तुति
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