Tuesday, January 1, 2013

मेरे लिए भी कोई शोर नहीं होता

"बीबी जी ",
हूँ...
वो आजकल बहुत सोर है,
"वो का क़हत कोई दामनी ,
दिल्ली मा इज्जत लूटा ,
दुई हफ्ता बाद विदेस मा चल बसी । "

" हाँ, बहुत बुरा हुआ बिचारी के साथ ,
उसका चलती बस मे कर बलात्कार ,
उन  हैवानों  ने बाहर फेंक दिया,
कर संघर्ष पंद्रह दिन बाद ,वह नहीं रही ।"

लंबी सांस भर -- बोली"
तो हमरे लिए कोई सोर क्यों नहीं ,
रोज़ रात पी कर ,
मेरा मर्द भी तो काठ सा झिंझोडता है ,
परसों तो उल्टी भी कर गया ,
बदबू पूरा सरीर मे घुस गया ,
कितना रगड़ा अभी तक , जी मिचलाता है ,
माना करने पे हरामी जलती लकड़ी से ,
 रुई सा हमका धुन  देता है ।"

"तू शादीशुदा है न ,
यह तेरे फर्जों की गिनती मे आता है ,
वो जो टोकरा तेरे जन्मते ही बंधा गया ,
तेरे स्त्री होने की लंबी फेरहस्त मे ,
वह  कांपते गले से बोली ,
मै समझ सकती हूँ ।"
यकायक गले मे पीले मवाद -सा ,
कुछ अटक गया ...
" मेरे लिए भी कोई शोर नहीं होता ।"