"बीबी जी ",
हूँ...
वो आजकल बहुत सोर है,
"वो का क़हत कोई दामनी ,
दिल्ली मा इज्जत लूटा ,
दुई हफ्ता बाद विदेस मा चल बसी । "
" हाँ, बहुत बुरा हुआ बिचारी के साथ ,
उसका चलती बस मे कर बलात्कार ,
उन हैवानों ने बाहर फेंक दिया,
कर संघर्ष पंद्रह दिन बाद ,वह नहीं रही ।"
लंबी सांस भर -- बोली"
तो हमरे लिए कोई सोर क्यों नहीं ,
रोज़ रात पी कर ,
मेरा मर्द भी तो काठ सा झिंझोडता है ,
परसों तो उल्टी भी कर गया ,
बदबू पूरा सरीर मे घुस गया ,
कितना रगड़ा अभी तक , जी मिचलाता है ,
माना करने पे हरामी जलती लकड़ी से ,
रुई सा हमका धुन देता है ।"
"तू शादीशुदा है न ,
यह तेरे फर्जों की गिनती मे आता है ,
वो जो टोकरा तेरे जन्मते ही बंधा गया ,
तेरे स्त्री होने की लंबी फेरहस्त मे ,
वह कांपते गले से बोली ,
मै समझ सकती हूँ ।"
यकायक गले मे पीले मवाद -सा ,
कुछ अटक गया ...
" मेरे लिए भी कोई शोर नहीं होता ।"
हूँ...
वो आजकल बहुत सोर है,
"वो का क़हत कोई दामनी ,
दिल्ली मा इज्जत लूटा ,
दुई हफ्ता बाद विदेस मा चल बसी । "
" हाँ, बहुत बुरा हुआ बिचारी के साथ ,
उसका चलती बस मे कर बलात्कार ,
उन हैवानों ने बाहर फेंक दिया,
कर संघर्ष पंद्रह दिन बाद ,वह नहीं रही ।"
लंबी सांस भर -- बोली"
तो हमरे लिए कोई सोर क्यों नहीं ,
रोज़ रात पी कर ,
मेरा मर्द भी तो काठ सा झिंझोडता है ,
परसों तो उल्टी भी कर गया ,
बदबू पूरा सरीर मे घुस गया ,
कितना रगड़ा अभी तक , जी मिचलाता है ,
माना करने पे हरामी जलती लकड़ी से ,
रुई सा हमका धुन देता है ।"
"तू शादीशुदा है न ,
यह तेरे फर्जों की गिनती मे आता है ,
वो जो टोकरा तेरे जन्मते ही बंधा गया ,
तेरे स्त्री होने की लंबी फेरहस्त मे ,
वह कांपते गले से बोली ,
मै समझ सकती हूँ ।"
यकायक गले मे पीले मवाद -सा ,
कुछ अटक गया ...
" मेरे लिए भी कोई शोर नहीं होता ।"
महिलाओं की सुरक्षा के लिए ही ये आवाज उठ रही है ...कड़ा कानून बनना ही चाहिए ...फिर शौर मचाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
ReplyDeleteबहुत शानदार लिखा हैं।
यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा शहरे-हवस
AISI KAI AAWAJEN GALE MAIN ATKI PADI HAIN, UNHEN HIMMAT CHAHIYE
ReplyDeleteamazing.......haits off.
ReplyDelete"तू शादीशुदा है न ,
ReplyDeleteयह तेरे फर्जों की गिनती मे आता है ,
वो जो टोकरा तेरे जन्मते ही बंधा गया ,
तेरे स्त्री होने की लंबी फेरहस्त मे ,
वह कांपते गले से बोली ,
मै समझ सकती हूँ ।"
यकायक गले मे पीले मवाद -सा ,
कुछ अटक गया ...
" मेरे लिए भी कोई शोर नहीं होता ।"
यह नियति है या कहूँ हमारी भारतीयता की पहचान?
बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleterecent post: किस्मत हिन्दुस्तान की,
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♥सादर वंदे मातरम् !♥
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मेरे लिए भी कोई शोर नहीं होता...
अफ़सोस !
बहुत-से मर्ज़ बिना इलाज़ ही रह जाते हैं ...
क्या कहें - नियति !!
आदरणीया पूनम जैन कासलीवाल जी
संवेदनात्मक सृजन के लिए साधुवाद !
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
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