वो एक रात ,सात जन्मों वाली ,
वो एक शख़्स, उस रात का सरमाया ,
खो गए कहीं उस रात के बाद .....
रटता रहा ,हम है एक जान ,
तकता रहा, जो रात भर,
बिछुड़ गया भोर के साथ ....
लबों को सी , नमी को पी ,
नही की कोई शिकायत ,
जिसको न हो क्द्र ही हमारी ,
उसको क्यों देखे हम मुड़ कर ....
वो एक शख़्स, उस रात का सरमाया ,
खो गए कहीं उस रात के बाद .....
रटता रहा ,हम है एक जान ,
तकता रहा, जो रात भर,
बिछुड़ गया भोर के साथ ....
लबों को सी , नमी को पी ,
नही की कोई शिकायत ,
जिसको न हो क्द्र ही हमारी ,
उसको क्यों देखे हम मुड़ कर ....
जिसको न हो क्द्र ही हमारी ,
ReplyDeleteउसको क्यों देखे हम मुड़ कर ....
sahi kaha.... aapne:)
बेहद सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeleteक्या बात
ReplyDeleteबहुत बढिया
वाह,.... .....बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट ।
ReplyDeleteसत्य कथन
ReplyDeleteदिल की बात कह दी
ReplyDeleteबहुत खूब |
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ...: यादों की ओढ़नी
वो एक रात, सात जन्मों वाली ,
ReplyDeleteवो एक शख़्स, उस रात का सरमाया ,
खो गए कहीं उस रात के बाद .....
रटता रहा, हम है एक जान
सुंदर अभिव्यक्ति ।