Sunday, October 14, 2012

वो एक रात

वो एक रात ,सात जन्मों वाली ,
वो एक शख़्स, उस रात का सरमाया ,
खो गए कहीं उस रात के बाद ..... 
रटता रहा ,हम है एक जान ,
तकता रहा, जो रात भर,
बिछुड़ गया भोर के साथ .... 
लबों को सी , नमी को पी ,
नही की कोई शिकायत ,
जिसको न हो क्द्र ही हमारी ,
उसको क्यों देखे हम मुड़ कर ....

10 comments:

  1. जिसको न हो क्द्र ही हमारी ,
    उसको क्यों देखे हम मुड़ कर ....
    sahi kaha.... aapne:)

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  2. बहुत सुन्दर रचना..

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  3. वाह,.... .....बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट ।

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  4. दिल की बात कह दी

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  5. वो एक रात, सात जन्मों वाली ,
    वो एक शख़्स, उस रात का सरमाया ,
    खो गए कहीं उस रात के बाद .....
    रटता रहा, हम है एक जान

    सुंदर अभिव्यक्ति ।

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