Sunday, April 1, 2012

tan madiralaya

लेते ही तेरा नाम , तन मदिरालय हो गया ..
गूंजने लगी ठुमरी- ग़ज़ल , रोम रोम रागालय हो गया ...
छाया नशा इक सांसों में औ ख्वाइशों का खुलासा हो गया ...
कासी - गुन्धी बाँहों के घेरे में ,मधुमास जीवन हो गया ..
साकी ने उड़ेला जाम रात भर , जग बंजारा हो गया ....

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