Wednesday, December 12, 2012

साठ या आठ


उम्र है आठ , बच्चे है सात ,
माँ जाए तो क्या ,
जननी तो वही है उनकी ,
जनते ही भूले जनक ,
माता को मिली न फुरसत जो ,
दुलारती- पुचकारती - लढ़ीयाती उसे ,
इन सभी कमियों को ,
पूरी ईमानदारी से पूरा कर रही ,
यह बुजुर्गुया नन्ही सी जान ।
जो नहीं मिला  खुद को कभी,
बाँट रही फिर भी बाकियों को भरपूर ,
मातृत्व के बोझ से दबी,
चिथड़ों मे लिपटी ,
चिथड़ों को संभालती ,
उम्र है आठ , लगती है साठ.....


8 comments:

  1. बेहद मार्मिक रचना। "बकियों" की जगह "बाकियों" कर ले

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है बेतुकी खुशियाँ

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  2. बेहद मार्मिक रचना.बढिया ,बधाई

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  3. ह्रदय को जकझोर देने वाला कटु सत्य मार्मिक रचना बधाई स्वीकारें
    RECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

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  4. .बेहद मार्मिक रचना।..

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. मार्मिक ...पर सच यही है



    (कामियों.......कमियों ...बकियों......बाकियों ....शब्द सही कर ले )...सादर

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