वह
पुरातान ग्रन्थ सी ,
सिर्फ बैठेक की शेल्फ पर सजती हैं |
वह
सस्ते नॉवेल सी ,
सिर्फ फुटपाथ पर बिकती हैं |
वह
मनोरंजक पुस्तक सी
उधार लेकर पढ़ी जाती हैं |
वह
ज्ञानवर्धक किताब सी ,
सिर्फ जरुरत होने पर पलटी जाती हैं |
गन्दी , थूक, लगी उँगलियों से ,
मोड़ी, पलटी , और उमेठी जाती हैं |
पढ़ो हमें सफाई से ,
एक - एक पन्ना एहतियात से पलटते हुए ,
हम सिर्फ समय काटने का सामान नहीं ,
हम भी इन्सान है , उपहार में मिली किताब नहीं
सिर्फ बैठेक की शेल्फ पर सजती हैं |
वह
सस्ते नॉवेल सी ,
सिर्फ फुटपाथ पर बिकती हैं |
वह
मनोरंजक पुस्तक सी
उधार लेकर पढ़ी जाती हैं |
वह
ज्ञानवर्धक किताब सी ,
सिर्फ जरुरत होने पर पलटी जाती हैं |
गन्दी , थूक, लगी उँगलियों से ,
मोड़ी, पलटी , और उमेठी जाती हैं |
पढ़ो हमें सफाई से ,
एक - एक पन्ना एहतियात से पलटते हुए ,
हम सिर्फ समय काटने का सामान नहीं ,
हम भी इन्सान है , उपहार में मिली किताब नहीं
बहुत सुन्दर पूनम जी....
ReplyDeleteदिल को छू गयी ये पंक्तियाँ.
अनु
दिल से दिल की बात
Deleteबहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना .बहुत बधाई आपको
ReplyDeletedhnyawad
Deleteअक्षरश: सही कहा है आपने ... अनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteshukriya
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteऐसा नहीं समझना चाहिए ...कीमती चीजों की कदर सब कहाँ समझ पाते है इसका मतलब यह कहाँ होता है की वह कीमती नहीं .
ReplyDeleteसही कहा है..सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeletedhnyawad
Deleteपढ़ो हमें सफाई से ,
ReplyDeleteएक - एक पन्ना एहतियात से पलटते हुए ,
हम सिर्फ समय काटने का सामान नहीं ,
हम भी इन्सान है , उपहार में मिली किताब नहीं ,,,,
बहुत उत्कृष्ट रचना....
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
ji zarur...shukriya
Deleteshukriya
ReplyDeleteबहुत ही शानदार........दिल को छूती पंक्तियाँ ।
ReplyDeleteshukriyaa
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