चूल्हे मे लकड़ी सी जलती ,
पतीली मे दाल सी गलती,
चक्की मे दानो सी पिसती ,
टाइप रायटर मे रिबन सी घिसती ,
मै ही तो हूँ . सब और , हर तरफ .
सड़क पर पत्थर सी कुटती,
घर पर फर्नीचर सी सजती ,
कुएं पर काई सी जमती .
मै ही तो हूँ , सब और , हर तरफ .
खुद की तालाश मे , खुद को खोजती ,
ख़ामोशी मे शब्दों को तलाशती ,
भीड़ मे अकेलेपन को निहारती ,
अजनबी में किसीको सहराती .
मै ही तो हूँ , सब और , हर तरफ .
इति
बहुत सुंदर रचना,,,
ReplyDeleterecent post : प्यार न भूले,,,
बेहद खूबसूरत रचना पूनम जी,
ReplyDeleteअरुन शर्मा - www.arunsblog.in
बहुत ही सुन्दर.....
ReplyDeletebahut sunder .............\
ReplyDeleteआपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (24-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
ReplyDeleteसूचनार्थ!
apka bahut bahut abhar..
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना..
ReplyDelete:-)
नारी मन की त्रासदी ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहर तरफ मैं ..फिर भी खुद की तलाश में!बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteखुद की तालाश मे , खुद को खोजती ,
ReplyDeleteख़ामोशी मे शब्दों को तलाशती ,
भीड़ मे अकेलेपन को निहारती ,
अजनबी में किसीको सहराती .
मै ही तो हूँ , सब और , हर तरफ .
इति
यही तो इसका उत्तर भी है . यत्र , तत्र , सर्वत्र
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी सी पोस्ट
ReplyDeleteमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/11/3.html
मैं से मैं की मुलाकात बेहद सार्थक ...बहुत खूब
ReplyDeleteस्वयं की तलाश ...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ...
खुद की तालाश मे , खुद को खोजती ,
ReplyDeleteख़ामोशी मे शब्दों को तलाशती ,
भीड़ मे अकेलेपन को निहारती ,
अजनबी में किसीको सहराती .
बहुत अच्छा लगा। स्वयं को खोजना भी आनंददायक होता है। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
सुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
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