"आइए- आइए - आइए.....खुल गया नया बिजनिस स्कूल........... !!!
अपने बच्चे का एडमिशन यहाँ करवाइए ,
कुछ सालों में छल, कपट , फरेब से भरपूर ,
एक जीता - जगता पुतला ले जाइये
सहानभूति , नैतिकता , सदाचार , मूल्य ,
यह सब भारी - भारी शब्द बकवास हैं
सिर्फ पुरानी किताबों , या बुजुर्गों के मुंह
से टपकते खाली - खोखले अलंकार हैं
ये दे नहीं पाते रोटी के ऊपर का मक्खन ,
न जुटा पाते विदेश की यात्रा का लागत
हम नहीं करते यहाँ किसी में कोई भेद - भाव ,
थोक के भाव करते हैं तैयार आपका सामान
जालसाजी , धोखा , ढोंग ,हेराफेरी ,भ्रष्टाचार से
ठूंस - ठूंस कर विकसित किया है हमारा पाठ्यक्रम
हम ही उत्पन्न करते हैं अनावश्यक जरुरत ,
और हम ही जुटाते हैं उसकी उट -पटांग रसद
जी हाँ ! ईमानदारी , शुद्धता को रख कर ताक पर ,
छल - कपट का रचते हैं हम नया संसार
यही आज की संस्कृति ,यही है आज की पहचान ,
आइए- आइए कुछ ही जगह बची हैं बाकी ,
जल्दी जल्दी से अपने घर के चिराग को लाइए,
फिर उससे पूरा संसार जलवाइए .............................."
अपने बच्चे का एडमिशन यहाँ करवाइए ,
कुछ सालों में छल, कपट , फरेब से भरपूर ,
एक जीता - जगता पुतला ले जाइये
सहानभूति , नैतिकता , सदाचार , मूल्य ,
यह सब भारी - भारी शब्द बकवास हैं
सिर्फ पुरानी किताबों , या बुजुर्गों के मुंह
से टपकते खाली - खोखले अलंकार हैं
ये दे नहीं पाते रोटी के ऊपर का मक्खन ,
न जुटा पाते विदेश की यात्रा का लागत
हम नहीं करते यहाँ किसी में कोई भेद - भाव ,
थोक के भाव करते हैं तैयार आपका सामान
जालसाजी , धोखा , ढोंग ,हेराफेरी ,भ्रष्टाचार से
ठूंस - ठूंस कर विकसित किया है हमारा पाठ्यक्रम
हम ही उत्पन्न करते हैं अनावश्यक जरुरत ,
और हम ही जुटाते हैं उसकी उट -पटांग रसद
जी हाँ ! ईमानदारी , शुद्धता को रख कर ताक पर ,
छल - कपट का रचते हैं हम नया संसार
यही आज की संस्कृति ,यही है आज की पहचान ,
आइए- आइए कुछ ही जगह बची हैं बाकी ,
जल्दी जल्दी से अपने घर के चिराग को लाइए,
फिर उससे पूरा संसार जलवाइए .............................."
Hats off to you !
ReplyDeleteTnx..
ReplyDeletea good one
ReplyDeleteपूनम जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आज की शिक्षा पद्धति पर तेखा व्यंग्य......बहुत सुन्दर|
बहुत ही सटीक व्यंग.
ReplyDeleteईमानदारी , शुद्धता को रख कर ताक पर ,
छल - कपट का रचते हैं हम नया संसार
आपकी कलम को शुभ कामनाएं
बहुत अच्छी रचना,
ReplyDeleteशिक्षा को व्यवसाय बना इन दुकानदारो पर अच्छा व्यंग्य है
aap sbhi ko bahut bahut dhanywaad...
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