दोस्ती
वे सब रहे बरसों साथ - साथ ,
सपने थे अलग - अलग, फिर भी पास - पास |
चल पड़े सब अपनी - अपनी राह ,
किसने जाने क्या -क्या सहा |
कोई चला ,चलता ही गया ,
कोई उठा ,उठता ही गया |
कोई चला कहीं, पहुँचा कहीं,
कोई घूम फिर कर रहा वहीं का वहीं |
किसीको बदलनी पड़ी, अपनी राह ,
कोई चलते -चलते, भटक गया राह |
कुछ के फले, कुछ के बदले ,
अब क्या पूछना तुम कब ,कहाँ निकले |
आज भी एक सिरा है उन्हें है जोड़ रहा ,
यही काफी है , जो भी मिला हँस के मिला |
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बहुत खूब! बढ़िया रचना!
ReplyDeletewell said Poonam.
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