anubuthi
Thursday, August 19, 2010
samarpan
होठों की हँसी,
आँखों की नमी ,
घुलमिल कर एक हुई |
तुम्हारे आने से ,
मेरे होने की पहचान परिपूर्ण हुई |
तुम में अपने को खो कर ,
आज मैं सम्पूर्ण हुई |
इति ...
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