इस बरस हो ऐसी दिवाली ,
न हो कोई भी झोली खाली ,
खिल जाये उम्मीदों की डाली - डाली |
पूरी हो सबके मन की आशा ,
दुःख-दर्द मिटे ,दूर हो निराशा |
भेद -भाव की मिट जाये खाई ,
मिल जाये आपस मे भाई - भाई |
खुली आँखों में जले सपने सी बाती,
हर किसीको मिले मनचाहा साथी |
अपनेपन का दिया जले हर आंगन,
इस बरस दिवाली हो सबकी मनभावन ||
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