Monday, February 21, 2011

ख्वाब

पलकों के भीतर ख्वाबों को पलने दे ,


नशवर ही सही उसे कुछ पल जीने दे


झूठा ही सही, पर ख्वाब तो है - तेरा ,

मन में एक इन्द्रधनुष -सा खिलने दे ,

शीशे सा टूट जाता है ,बड़ा नाजुक है ,

...जब तक रहे , वहाँ इसे चमकने दे


जिन्दगी वैसे ही बेज़ार रुलाती है ,

उन हसीं  लम्हों को याद कर हँसने दे

2 comments:

  1. जिन्दगी वैसे ही बेज़ार रुलाती है ,

    उन हसीं लम्हों को याद कर हँसने दे
    kuch to jee lene de... bahut badhiyaa

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