बीते पल
अपने मन के आंगन में गाड़े हैं ,
समय से चुराए कुछ अपने पल |
रोज़ सुबह - शाम सींचती हूँ ,
अपनी हसीन यादों के झरने से |
वक़्त - बेवक्त यह बेल फल जाती है ,
चुन कर उन गुलाबी फूलों को ,
सजा लेती हूँ अपने हृदय के घरोंदे को |
सुवासित हो जाता है मेरे दिल का आंगन ,
तुम्हारे आस - पास होने की महक से |
निगाहें ढुंढने अब इधर - उधर नहीं जाती हैं ,
तुम्हारी ख़ुशबू अब मेरे बदन से आती है |
bahut badhiyaa
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletenicely written.
ReplyDeleteमहिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
वक़्त - बेवक्त यह बेल फल जाती है ,
ReplyDeleteचुन कर उन गुलाबी फूलों को ,
सजा लेती हूँ अपने हृदय के घरोंदे को |
sundar bhawon ki behad sundar kavita.
wah. pyar ki parakashtha likh di aaj to apne...
ReplyDeletebahut bahut shukriya..
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