Wednesday, April 6, 2011

जीवन की गंध

नैनों की हलकी आंच में ,
सजाए हैं सब्ज सपने ....
होठों की मस्त धुन ने ,
गुनगुनाये हैं नए नगमे ....
मन के नर्म आंगन में ,
उगाये हैं कुछ पल अपने ....
सींचती , सवांरती , सहेजती ,
बिखरी , बहती , जीवन की गंध ........!!

7 comments:

  1. "जीवन की गंध....."
    एकदम अनूठी,
    पूरी-पूरी तरह अपनी...!
    इसके अपने सपने,अपना संगीत
    और अपनी महक !!
    मैं नख-शिख तक सराबोर हो गयी.. ..

    शुक्रिया.......
    शब्द आपके...भाव हमारे...!!

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  2. बहुत खूब.......नर्म सा अहसास जगती है ये पोस्ट.....प्रशंसनीय|

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  3. अति-सुन्दर रचना पूनम जी !!

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  4. bahut bahut dhnywad.....need to know how to write comments in Hindi..still not used to this technology..any help..???

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  5. 'जीवन की गंध' को बहुत सुन्दर ढंग से ओतप्रोत किया है आपने अपनी सुन्दर रचना में. कम शब्दों में अति कोमल अहसास कराती
    खूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत आभार.
    मेरे ब्लॉग ' मनसा वाचा कर्मणा ' पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  6. पूनम जी समसामयिक पर बढ़िया पोस्ट है आपकी......यहाँ ' न्यायकर्ताओं' का होना चाहिए था .....आपने पिच्च्ली पोस्ट की टिप्पणी में लिखा है की हिंदी में टिपण्णी कैसे लिखें?

    जैसे आप पोस्ट को टाइप करती है वैसे ही गूगल ट्रांसलेटर में अपनी टिप्पणी को हिंदी में टाइप करें और फिर वह से कॉपी करके जहाँ टिप्पणी छोडनी हो वहां पेस्ट कर दें | जब आप टाइप करेंगी तब उस शब्द पर बैक स्पेस देने से गूगल उससे सम्बंधित सुझाव आपको दिखायेगा जहाँ से आप जो आपको सही लगे चुन सकती हैं......उम्मीद है आपको इससे मदद मिलेगी.....शुक्रिया |

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