Monday, April 25, 2011

kab tak

कब तक रहोगे ख्वाब की तरह ,
कभी तो सामने आओ हकीकत की तरह |
कब तक रहोगे दूर सितारे की तरह ,
कभी तो मिलो बहती हवाओ की तरह |
कब तक रहोगे पलकों में नमी की तरह ,
कभी तो छलको रेशमी बूंदों की तरह |
कब रहोगे एक गूढ़   सवाल की तरह ,
कभी तो आओ सुलझे  जवाब की तरह |

6 comments:

  1. बहुत खूब

    कब तक रहोगे पलकों में नमी की तरह ,
    कभी तो छलको रेशमी बूंदों की तरह |

    वाह वाह

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  2. बहुत खूब....प्रशंसनीय .....

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  3. "कब रहोगे एक गूढ़ सवाल की तरह ,
    कभी तो आओ सुलझे जवाब की तरह |"

    और कुछ सवाल
    जिन्दगी भर सवाल की तरह ही रह जाते हैं
    बस एक ईश्वर है
    जो सवाल की तरह आता है
    और....
    जब सुलझता है तो
    हमेशा के लिए सब कुछ
    सुलझा भी जाता है...!

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  4. वाह..क्या खूब लिखा है आपने।

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  5. क्या बात है पूनम जी,वाह.

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