पलकों की चिलमन से निकल कर ,
गालों की सेज पर ठहर गया ...
तेरी याद में अटका आसूँ,
रुकते - रुकते भी बह गया .....
दिल में दर्द है यह प्यार का मीठा सा ज़रा ,
ज़माने कि हवा लगते ही खारा कैसे हो गया ..........
गालों की सेज पर ठहर गया ...
तेरी याद में अटका आसूँ,
रुकते - रुकते भी बह गया .....
दिल में दर्द है यह प्यार का मीठा सा ज़रा ,
ज़माने कि हवा लगते ही खारा कैसे हो गया ..........
वाह वाह
ReplyDeleteदर्द शब्दों में छलक आया
शुभकामनाये
वाह क्या बात है.........बहुत खुबसूरत......शानदार
ReplyDeleteवाह क्या बात है, थोड़े से शब्दों मे बहुत कुछ कह दिया. very nice. please keep on writing so beautifully.
ReplyDeleteshukriyaa...
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