Friday, August 19, 2011

ab to aa jao

भर आया है प्यार मेरा ,
इन नैनों के कोरों तक ,
अब तो आ जाओ साजन,
सांसें न रुक जाये भोर होने तक |
माथे पर मेरे अगर ,
लबो का  तेरे हो कुमकुम ,
ह्रदय  मे गूंजे हल्का सा श्रृंगार ,
ठहर जाये धरती ,थम जाये अस्मा |
बाँहों की तेरी अगर,
मिल जाये चन्दनहार ,
आँखों मे तेरी देखूँ ,
डूब कर भी ,पा जाऊ सारा संसार |

5 comments:

  1. सुन्दर.....विरह का दर्द समेटे एक प्रेमपूर्ण पोस्ट.....पूनम जी आपके ब्लॉग पर जो फेसबुक का बैज है उसके लिंक के द्वारा जब हम फेसबुक पर पहुंचे तो पाया आपने सारे ऑप्शन बंद कर रखे हैं|

    ReplyDelete
  2. bahut bahut shukriya, Just for security and privacy reason, You can send a friend request if you are on FB

    ReplyDelete
  3. "भर आया है प्यार मेरा,
    इन नैनों के कोरों तक !!"

    pyaar aise hi bharta hai
    kabhi kisi ke liye..
    par koi samjhe to....!!!

    khoobsoorat....

    ***punam***
    bas yun...hi...

    ReplyDelete
  4. In the facebook there is no freind request option available on your profile.

    ReplyDelete
  5. पूनम जी काश आप और दूसरे रचनाकारों कि तरह से ना हों जो केवल तारीफ ही पसंद करते है बुराई नहीं ........ आपकी भावपूर्ण कविता पढ़कर हम और भी ज्यादा अकेले हो गए ऐसा लगता है जैसे कि हम अलग थलग से पड़े ...किसी का इंतज़ार कर रहे है ......बधाई आपको इतने सुदर कविता लिखने के लिए

    ReplyDelete