Thursday, August 4, 2011

hakikat

भुलाने की लाख कोशिश में ,
तू हर पल याद आता है |
दिन तो गुज़र जाता है मसरूफियत में ,
शाम होते ही चिरागे मोहब्बत जल जाता है |
माना कि तू है एक सतरंगी ख्वाब ,
हर रात हकीकत क्यों बन जाता है |.

2 comments:

  1. बहुत खूब ......हुई शाम उनका ख्याल आ गया.......

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