Tuesday, February 14, 2012

तुम्हारे होने का इंतजार ..

खींच हथेली मेरी , ऊँगली से अपनी ,
हल्के से लिखा तुमने अपना नाम .
ढांप अपनी दूजी हथेली से उसे ,
बैठी रही इसे मैं अपना मान .
धीरे से खोल उसे देती रही दिलासा ,
हो तुम यहीं-कहीं मेरे आस- पास .
खुली आँखों में सजा बैठी सपना ,
और करने लगी कल्पना से प्यार .
ख्वाब  भी था आशिक मनचला,
वक़्त-बेवक्त करने लगा परेशां ,
भींच हथेली गालों पे टीका,
करती रही तुम्हारे होने का इंतजार ....

12 comments:

  1. खुली आँखों में सजा बैठी सपना ,
    और करने लगी कल्पना से प्यार .
    ख्वाब भी था आशिक मनचला,
    वक़्त-बेवक्त करने लगा परेशां ,

    yhai hota hai .......khuli ankhon ke sapne vakai jindagi ko tabah kr dete hain ....rachana behad sundar ....sadar abhar.

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  2. वाह!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,बेहतरीन रचना,...

    MY NEW POST ...कामयाबी...

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  3. खुद को दिलासा देती अभिव्यक्ति।

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  4. बहुत ही खूबसूरती से लिखा है आपने.

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति|

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  6. intzaar bas intzaar
    kabhee khatm nahee hotaa intezaar
    nice wordings

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  7. बहुत सुन्दर रचना !
    आभार !

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  8. खींच हथेली मेरी , ऊँगली से अपनी ,
    हल्के से लिखा तुमने अपना नाम .

    एक अद्भुत भाव उभर आया है इन पंक्तियों में ...!

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  9. वाह!!!!!पूनम जी,अद्भुत भाव की बहुत अच्छी प्रस्तुति,... सुंदर रचना

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

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  10. वाह...नाज़ुक सी कविता!!

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