बांधी गठरी ढेर सारी हिदायतों की तूने ,
करना हिफाज़त जान से बढ़ कर ,
पोटली नहीं इज्ज़त है हमारी ,लल्ली,
सात फेरे नहीं सात जन्मों का संबंध है ॥
हुई भारी मन बोझिल कदमों से विदा ,
करना हिफाज़त जान से बढ़ कर ,
पोटली नहीं इज्ज़त है हमारी ,लल्ली,
सात फेरे नहीं सात जन्मों का संबंध है ॥
हुई भारी मन बोझिल कदमों से विदा ,
बड़े जतन से ,खूब यत्न से दिल पे रक्खी ,
सांझ – सवेरे की तांका- झांकी ,
हर मौसम मे धूप दिखाई ,
लपेटी – सहेजी कोमल परतों मे ,
थक गयी करते – करते हिफाजत ,
खा गयी इसको दुनियादारी की दीमक,
खोखले हुये सब वचन ,
गलियाते- गंधियाते संबंध ,
फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
पा गयी अपने को लल्ली ....
सांझ – सवेरे की तांका- झांकी ,
हर मौसम मे धूप दिखाई ,
लपेटी – सहेजी कोमल परतों मे ,
थक गयी करते – करते हिफाजत ,
खा गयी इसको दुनियादारी की दीमक,
खोखले हुये सब वचन ,
गलियाते- गंधियाते संबंध ,
फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
पा गयी अपने को लल्ली ....
थक गयी करते – करते हिफाजत ,
ReplyDeleteखा गयी इसको दुनियादारी की दीमक,
खोखले हुये सब वचन ,
गलियाते- गंधियाते संबंध ,
फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
पा गयी अपने को लल्ली ....
सीख सीख
और उपदेश ... पर उपदेश
जान गई
मुक्त हुई
sadar abhar
DeleteBehtreen , Amazing , Adbhut
ReplyDeleteअद्भुत.....अकल्पनीय......हैट्स ऑफ ।
ReplyDeletetnx
Deleteउम्दा शब्द रचना ...बहुत खूब ...मन की बंदिशे तोडती हुई..
ReplyDelete"खा गयी इसको दुनियादारी की दीमक,खोखले हुये सब वचन ,"
ReplyDeleteगहन अर्थ लिए हुए लाजवाब रचना....|
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार...|
bahut bahut shukriyaa
Deleteखोखले हुये सब वचन ,
ReplyDeleteगलियाते- गंधियाते संबंध ,
फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
पा गयी अपने को लल्ली ....
beautiful lines with emotions and feelings
sadr abhar
Deleteखोखले हुये सब वचन ,
ReplyDeleteगलियाते- गंधियाते संबंध ,
फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
पा गयी अपने को लल्ली ....
अद्भुत भाव की बेहतरीन पंक्तियाँ,,,,,
MY RECENT POST ...: जख्म,,,
shukriya...jarur
Deleteबेहतरीन और सुन्दर हमेशा की तरह.......हमारे ब्लॉग जज़्बात......दिल से दिल तक की नई पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है.....वक़्त मिले तो ज़रूर नज़रे इनायत फरमाएं -
ReplyDeletehttp://jazbaattheemotions.blogspot.in/2012/08/10-3-100.html