Monday, August 27, 2012

हिदायतों की गठरी

बांधी गठरी ढेर सारी हिदायतों की तूने ,
करना हिफाज़त जान से बढ़ कर ,
पोटली नहीं इज्ज़त है हमारी ,लल्ली,
सात फेरे नहीं सात जन्मों का संबंध है ॥
हुई भारी मन बोझिल कदमों से विदा ,
बड़े जतन से ,खूब यत्न से दिल पे रक्खी ,
सांझ – सवेरे की तांका- झांकी ,
हर मौसम मे धूप दिखाई ,
लपेटी – सहेजी कोमल परतों मे ,
थक गयी करते – करते हिफाजत ,
खा गयी इसको दुनियादारी की दीमक,
खोखले हुये सब वचन ,
गलियाते- गंधियाते संबंध ,
फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
पा गयी अपने को लल्ली ....

13 comments:

  1. थक गयी करते – करते हिफाजत ,
    खा गयी इसको दुनियादारी की दीमक,
    खोखले हुये सब वचन ,
    गलियाते- गंधियाते संबंध ,
    फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
    पा गयी अपने को लल्ली ....

    सीख सीख
    और उपदेश ... पर उपदेश
    जान गई
    मुक्त हुई

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  2. अद्भुत.....अकल्पनीय......हैट्स ऑफ ।

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  3. उम्दा शब्द रचना ...बहुत खूब ...मन की बंदिशे तोडती हुई..

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  4. "खा गयी इसको दुनियादारी की दीमक,खोखले हुये सब वचन ,"
    गहन अर्थ लिए हुए लाजवाब रचना....|

    मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
    आभार...|

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  5. खोखले हुये सब वचन ,
    गलियाते- गंधियाते संबंध ,
    फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
    पा गयी अपने को लल्ली ....

    beautiful lines with emotions and feelings

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  6. खोखले हुये सब वचन ,
    गलियाते- गंधियाते संबंध ,
    फेंक आई बाहर घर की सफाई मे ,
    पा गयी अपने को लल्ली ....

    अद्भुत भाव की बेहतरीन पंक्तियाँ,,,,,
    MY RECENT POST ...: जख्म,,,

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  7. बेहतरीन और सुन्दर हमेशा की तरह.......हमारे ब्लॉग जज़्बात......दिल से दिल तक की नई पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है.....वक़्त मिले तो ज़रूर नज़रे इनायत फरमाएं -

    http://jazbaattheemotions.blogspot.in/2012/08/10-3-100.html

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