काफी अरसे के बाद बंद खिड़की खुली ,
तन मन को हर्षित कर गयी .
यादो की पिटारी जो कब से सहेज रखी थी ,
परत दर परत खुल गयी .
घास ,फूल , धूप की महक ,
हर कोने को छू गयी ,
खिलखिलाना ,मनाना, रूठ जाना ,
सब यादे तरोताजा हो गयी .
बड़ा लम्बा सफ़र है यह ,
मुड़ कर देखा तो पाया .
एक उम्र पीछे छोड़ आये है हम .
इति
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