बरसों बाद भाई आया ,
पुरानी यादें साथ लाया |
वह रूठना -मनाना , झगड़ा और शोर ,
तुझसे बंधी है बचपन की डोर |
कंचे, लट्टू , वो काटा की धूम ,
हरा समुंदर , मछली रानी गोल - गोल घूम |
ठेले की कुल्फी ,छल्ली और बुड्ढी के बाल,
हँसते - खेलते निकल गए कितने ही साल |
तेरे माथे पर मेरे नाख़ून के निशान,
तूने भी काटे थे सोते हुए मेरे बाल |
मैने बनाई तेरे पोस्टर पर मूँछ और पूँछ,
आज तक वह बात तू नहीं पाया है भूल |
ढूध के अनगिनत ग्लास बहाए थे हमने ,
रिपोर्ट कार्ड के कितने पन्ने छिपाए थे हमने |
अब भी याद है माँ के जाते ही रसोई में जाना ,
चाय बनाते - बनाते बर्तन का जलाना |
रात होते ही छत पर लपकना ,
पंखे के सामने ही चरपाई हडपना |
राज़ की बात एक - दूसरे को बताते थे ,
फिर उसी बात पर एक दूसरे को धमकाते थे |
पल मे दुश्मन , पल मे दोस्त थे हम ,
न कोई चिंता ,न फ़िक्र न थे गम |
कितने मधुर सुहाने थे वो दिन और रात ,
अब तो बस यह सब है पुरानी याद |..........
इति ..........
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