वह
पुरातान ग्रन्थ सी ,
सिर्फ बैठेक की शेल्फ पर सजती हैं |
वह
सस्ते नॉवेल सी ,
सिर्फ फुटपाथ पर बिकती हैं |
वह
मनोरंजक पुस्तक सी
उधार लेकर पढ़ी जाती हैं |
वह
ज्ञानवर्धक किताब सी ,
सिर्फ जरुरत होने पर पलटी जाती हैं |
गन्दी , थूक, लगी उँगलियों से ,
मोड़ी, पलटी , और उमेठी जाती हैं |
पढ़ो हमें सफाई से ,
एक - एक पन्ना एहतियात से पलटते हुए ,
हम सिर्फ समय काटने का सामान नहीं ,
हम भी इन्सान है , उपहार में मिली किताब नहीं .................
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