Tuesday, August 9, 2011

Zindgi badal rahi hae

जिंदगी बदल रही है , जिंदगानी बदला रही है ,
तेरे - मेरे जीने की कहानी बदल रही है |
एक की कमाई पर चलता था घर ,
अब सब की भी कम पड़ रही है |
नज़र बदल रही है , नज़रिया बदल रहा है ,
नज़रंदाज़ करने का तरीका बदल रहा है |
कहते थे कभी , खा कर जाना ,
अब सुनते हैं "आप खा कर आए होंगे |
बातें होती थी आमने - सामने कभी ,
अब हर किसी से नज़रे चुरा कर मिला रहे हैं |
पोशाक बदल रही है , पहनावे बदल रहे हैं ,
छिपाने की बजाय, दिखाने के अंदाज़ बदल रहे हैं |
रिश्ते बदल रहे हैं , नाते बदल रहे हैं ,
जन्म जन्मातर के साथी बदल रहे हैं |
इसमें आश्चर्य क्या ,
और अचम्भा क्यों ,
वक़्त के साथ ...हम भी बदल रहे हैं .......

5 comments:

  1. ये बदलाव ही तो खतरनाक मोड़ पे है इस जिन्दगी का
    हर रिश्ता ...हर बात ...दाव पर लगी है इस वक़्त

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  2. तू भी बदल फलक की ज़माना बदल गया.......बदलाव को लेकर एक ज़बरदस्त पोस्ट.......बहुत खूब|

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  3. सुन्दर रचना , बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

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  4. रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं .

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