Monday, March 5, 2012

छोड़ो न .

चलो बीच से ही शुरू  करते हैं ,
छोड़ो न शुरू से शुरू करने की बात ,
जहाँ छूट गया था सिलसिला ,
उसका अब क्या  करना गिला .....
तेरी - मेरी उन बातों का ,
उन हंसी मुलाकातों का ,
चाँद  - तारों की रातों का ,
चलो बीच से ही शुरू करते हैं ,
छोडो न शुरू से शुरू करने की बात ......
.वक़्त है कहाँ पीछे मुड़ने का ,
तुमने क्या कहा ,
मैने क्या सुना ,
उलहानो- तानों से दूर ,
अपेक्षाओं - उपेक्षाओं से परे ,
अहं- अभिमान से वर्जित ,
तेरे - मेरे प्यार से सुसज्जित ,
चलो बीच से ही शुरू करते हैं ,
छोड़ो न शुरू से शुरू करने की बात ......छोड़ो न .....





7 comments:

  1. bahut bahut bahut sundar

    aaiye blog par

    बसंत की जवानी है होरी ....>>> संजय कुमार
    http://sanjaykuamr.blogspot.in/

    ReplyDelete
  2. उलहानो- तानों से दूर ,
    अपेक्षाओं - उपेक्षाओं से परे ,
    अहं- अभिमान से वर्जित ,
    तेरे - मेरे प्यार से सुसज्जित ,
    चलो बीच से ही शुरू करते हैं ,

    और बीच यहीं पर है ....
    लेकिन अब शुरुआत .....?
    कहाँ से.....???

    http://punamjgd.blogspot.in/

    ReplyDelete
  3. शुरू में बिच में सब जगह सुन्दर भाव !
    होली की ढेर सारी शुभकामनायें !
    आभार !

    ReplyDelete
  4. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर भाव अभिव्यक्ति...
    .
    होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,

    ReplyDelete
  5. सच है जब आँख खुले तभी सवेरा माना ठीक है ... पुरानी बातों की क्या दोहराना ...अच्छी रचना है ...
    आपको और आपके समस्त परिवार को होली की मंगल कामनाएं ...

    ReplyDelete
  6. सुन्दर प्रस्तुति !
    होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  7. चलो बीच से ही शुरू करते हैं ,
    छोड़ो न शुरू से शुरू करने की बात ..
    shuru to ho...:)
    chahe jahan se !!
    behtareen

    ReplyDelete