उमड़ा, गरजा , बरस गया ...
अबके सावन भी गुजर गया ..
न गुनगुनायी आंगन मे भोर ..
न उठा झूले का शोर ..
न गोरी सजी ,
न पायल बजी ,
न चूमा माथा ,
न मिला आशीष,
न केश बिखरे ,
न नाइन के नखरे ,
न महका घेवर ,
न तले अंदरसे ,
न बाबुल का संदेसा ,
न भाई का इंतजार ,
अबके सावन भी गुजर गया .....
अबके सावन भी गुजर गया ..
न गुनगुनायी आंगन मे भोर ..
न उठा झूले का शोर ..
न गोरी सजी ,
न पायल बजी ,
न चूमा माथा ,
न मिला आशीष,
न केश बिखरे ,
न नाइन के नखरे ,
न महका घेवर ,
न तले अंदरसे ,
न बाबुल का संदेसा ,
न भाई का इंतजार ,
अबके सावन भी गुजर गया .....
shaandar, bahut sundar rachna
ReplyDeleteholi ki hardik shubhkaamnayen
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति.....
ReplyDeleteRESENT POST...फुहार...फागुन...
RECENT POST...काव्यान्जलि
...रंग रंगीली होली आई,
अबके सावन भी गुजर गया ..
ReplyDeleteन गुनगुनायी आंगन मे भोर ..
कैसे...?
पता ही नहीं चला....
बहुत खूब ... तनहा सावन को बहुत खूब पकड़ा है ...
ReplyDelete.
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
मन तक पहुंचने वाले भाव हैं आपकी लघु कविता में …
आभार !
फागुन में सावन की रचना पढ़ने का भी अपना ही आनंद है !
:)
(गूगल की समस्या के चलते होली की शुभकामनाएं यथासमय संप्रेषित नहीं हो पाई )
विलंब से ही सही ,
स्वीकार कीजिए मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
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♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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कुछ बाक़ी रह जाने की, कुछ छूट जाने की अनुभूति और उस कसर की कसक लगता है शब्दों का आकार पा गई है। अच्छी रचना आपको बधाई पूनम जी!
ReplyDeletebehtareen...
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