रक्खा ...बरसों से ,
वह पुराना संदूक ...बड़ा -भारी औ उदार ,
अम्मा के दाज का .....या उसेस भी पहले का.....
बंद न जाने इसमें ,
कितने सपने ,
कुछ हुए पूरे ,
कुछ आधे - अधूरे .
अरमानो की पोटली,
अनुभूति का पिटारा ,
ढो रहा है भार पीढ़ी दर पीढ़ी ,
अनगिनत मुंडन ,
कनछेदन - जनेऊ आदि अनुष्ठान ,
निबटाये इसने आकस्मिक --निर्विघ्न ,
टी-सेट ,चद्दर -मेजपोश ...बेमेल ,
साडिया - ब्लाउज़ पीस , पैंट -शर्ट ..
कितने अनगिनत इसमें जोड़े ,
सलमे -सितारे से जड़ी चुनरी ,तो
मखमली रजाई के कवर बेशुमार ,
लाल पोटली में चन्द काले होते सिक्के ,
चांदी -जड़े गोले और बड़े -बड़े थाल ,
मुकुट -दीपक - कलावा -दुशाला ,
पता नहीं कितने तांबे -पीतल के कटोरे ,
जाने खुदा उनपे किस किस का नाम .
फलाने की शादी मे मिला ग्लास का सेट ,
लिखा जिस पे रीना और मोहन -1945
अनगिनत - सौगातें ,
बेमिसाल - यादें ,
असाध्य भेंटें ,
मिलनी - इत्यादि - इत्यादि ..
बंद ------न जाने इसमें और क्या क्या ...........
बाबा की थैली में क्या क्या चीज लवंग सुपारी धतूरा का बिज ..
ReplyDeleteअद्भुत पोटली का रहस्य
बहुत खूब ......यादों का संदूक यूँ ही रहे सदा के लिए
ReplyDeleteयादों का यह संदूक .. बहुत खूब
ReplyDeleteकितना कुछ भर दिया इस में ?
ReplyDeleteगहन भाव लिए सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteपुरानी यादो से सहेजा गया अमूल्य सन्दूक,,,,इसमें सभी कुछ तो है,,,
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,,,सुंदर रचना,,,,,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,