यूँ ही टहलते - टहलते ,
एक दिन सागर किनारे ,
पाई उसने पारदर्शी बोतल अनायास ,
एक पीला -मटमैला ख़त था बेनाम ,
लिखा था --------
" अमिट यह प्यार ,तेरे नाम " ..
आज तक संजों रखी ,
वह जीर्ण -शीर्ण पुर्जी ,
उसपे फीकी - दबी सी इबारत ,
और न जाने क्यूँ तबसे कर बैठी,
वह --
बोतल बंद प्यार .....
बोतल बंद प्यार .....
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,
MY RECENT POST...:चाय....
very nice....
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ...!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteइस बोतल बंद प्यार को बाहर निकालना ही होगा
बोतल बंद प्यार , बेहतरीन रचना
ReplyDeleteband botal ki pyari abhivyakti.....
ReplyDeleteबोतल बंद प्यार....इस लाइन ने दिल जीत लिया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
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