Tuesday, July 3, 2012

बोतल बंद प्यार


यूँ ही टहलते - टहलते ,
एक दिन सागर किनारे ,
पाई उसने पारदर्शी बोतल अनायास ,
एक पीला -मटमैला ख़त था बेनाम ,
लिखा था --------
" अमिट यह प्यार ,तेरे नाम " ..
आज तक संजों रखी  ,
वह जीर्ण -शीर्ण पुर्जी ,
 उसपे फीकी - दबी सी इबारत ,
और न जाने क्यूँ तबसे कर बैठी,
 वह --
बोतल बंद प्यार .....

8 comments:

  1. बोतल बंद प्यार .....

    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,

    MY RECENT POST...:चाय....

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  2. बेहतरीन रचना ...!

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  3. बहुत सुन्दर
    इस बोतल बंद प्यार को बाहर निकालना ही होगा

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  4. बोतल बंद प्यार , बेहतरीन रचना

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  5. band botal ki pyari abhivyakti.....

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  6. बोतल बंद प्यार....इस लाइन ने दिल जीत लिया।

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