सुबह - सुबह पत्तों से टपकती - पानी की बूंदे ,
क्या बरसी थी चांदनी ?
या इसके साये तले,
जड़ों सी चिपकी ,
वो देखो मासूम -
नन्ही- सी जान ,
रात भर - घुटनों को मोड़े ,
पेट को भींचे ,
सांस को खींचे ,
सुबक - सुबक ,
अनमनी - सी ,
भूखी थी सोयी ,
रात भर --- फूट - फूट पाती भी रोई .....!!
वाह..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
कोमल सी अभिव्यक्ति.....
अनु
bahut bahut dhnyawad
Deleteबहुत ही खुबसूरत...
ReplyDeleteshukriyaa
Deleteवाह,,,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: दोहे,,,,
shukriyaa..zarur
Deleteबहुत खुबसूरत अभिव्यक्ती .... !!
ReplyDeleteअभिनव दृष्टी और सोच. सच्चाई के भी बेहद करीब.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई .
Deletesadar abhar
Deletedhnywad
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत सी पोस्ट।
ReplyDeleteshukriyaa.
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