Thursday, October 4, 2012

मेरा ताजमहल


राधिया आज बड़ी ही खुस थी ,
ब्याह की बात है चल रही ,
सुना है तेरा वो ,
रहता है सहर मा,
तेरी तो मौज ही मौज है ,
ऊंची - ऊंची बिल्डिंग ,
लंबी - चौड़ी सड़कें ,
तेज दौड़ती मोटर - कार ,
तू तो हम सबका भूल जाएगी ॥ 
अरे , आएसा का क़हत हो ,
तुम लोग सब भी आना ,
घूमेगे - फिरेंगे , एस करेंगे ,
और का ...फिस्स से हँस दी ,
मन ही मन ताजमहल बुन रही थी ॥ 
ठूंस - ठांस , धँसती जब पहुँची,
घसटती सी , मारे बदबू फटी नाक ,
गंदगी का ढेर , नंग - धड़ंग बच्चे ,
गाली- गलौज और दमघोंटू हवा ,
ये कहाँ ले आया , गोपाला मुझे ॥
कहाँ गयी वो सपनों की बातें ,
लाज औ संकोच से धीरे से बुदबुदाई ,
यही है का मुंबई नागरी ,
हम तो कछु और ही सुने थे ,
अपना गाँव के सामने तो कुछ भी नहीं ॥ 
पगली ,यही है अब सपने की नगरी,
वो देख सामने तेरा ताज ,
मै शाहजहाँ ,तू मेरी मुमताज़ ,
टेड़े - मेड़े - आड़े- तिरछे ,
फट्टों की दीवार पर ,
टीन की फड़फाड़ती छत ,
मुस्कराई और बोली 
अब से यही है मेरे सपनों का ताजमहल ,
तू मेरा शाहजहाँ , मै तेरी मुमताज़ ...

7 comments:

  1. एक सपना धाराशायी होता है तो ये पागल मन कोई नया सपना बुनने लगता है...

    गहन रचना
    अनु

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  2. सहज सरल शब्‍दों में जीवन का गहरा सच

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  3. प्रेम और समझौते का स्नेहिल समर्पण...

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  4. पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
    और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    http://madan-saxena.blogspot.in/
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  5. अच्छी रचना
    बहुत सुंदर


    मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html

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  6. ये तो वही बात हो गयी
    गाँव में खेत , खेत में गन्ना
    तू मुमताज़ ,मैं राजेश खन्ना

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  7. गहन सत्य को समेटे ये सादगी लाजवाब लिखा है आपने.....हैट्स ऑफ इसके लिए।

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