क्या कभी सुनी है तुमने ,
सन्नाटे की आवाज़ ????एक ताल - लय - सुर है इसमे भी ,दिल को जो कर दे चाक ,वो टीस है इसमे ॥भिगो दे भीतर तक ,वो रस-धार है इसमे ॥ जैसे अंधकार --- काला - गाढ़ा - घनघोर ..... पर भींच पलकें देखो ,इसमे भी अनेकों रंग ,गहरे - हल्के -स्याह - चितकबरे ,टिमटिमाते --- फुटते- अनेक सितारे ... करो बंद आँखें और देखो ... देखो तो सही ...
अजीब है न ?चमकीला अंधकार ,सन्नाटे की आवाज़ ,या फिर सही है न ..... ?
सन सन करती आती है सन्नाटे की आवाज़ ,है वह ब्रह्म नाद !
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