Monday, July 22, 2013

नज़र

मैने तो यूं ही कहा ,
अल्लाह का मुझ पर कर्म हे,तू जो मेरे नसीब मे हे , तब से आज तक हम ,कभी माथे ,तो कभी हाथों की लकीर ढूंढते हे ,वाह रे खुदा ये तेरी कैसी खुदाई ,हमने , खुद को खुद की नज़र लगाई .

1 comment:

  1. पुरे कायनात को समेटती निःशब्द करती

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