वह नहीं सह पाई ताप ,
तेरी जुदाई का ,
निकल पड़ी नंगे पाँव,
ठंडी - जलती बर्फ पे ,
तेरी जुदाई का ,
निकल पड़ी नंगे पाँव,
ठंडी - जलती बर्फ पे ,
भागती - दौड़ती ,
निकलता धुआँ तलवों तले ,
सिसकी - आहों से सर्द होंठ ,
जमती लकीरें जर्द गालों पे ,
सिसकी - आहों से सर्द होंठ ,
जमती लकीरें जर्द गालों पे ,
यादों - वादों की बनती पगडंडियाँ,
ऊबड़ - खाबड़ ,खोती शून्य में....
बनती लहू की टेड़ी- मेड़ी डगर ,
बनती लहू की टेड़ी- मेड़ी डगर ,
छिलती खाल- झिल्ली - मांस ,
बनाती - उकेरती अद्भुत नक्काशी ,
रूखी - कठोर - भावशून्य - जमीन पर ...........
रचती अपना आज ...कल.....काल .........!!!
बनाती - उकेरती अद्भुत नक्काशी ,
रूखी - कठोर - भावशून्य - जमीन पर ...........
रचती अपना आज ...कल.....काल .........!!!
,बेहतरीन प्रस्तुति...!लाजबाब
ReplyDeleteRECENT POST -: पिता
बहुत बढिया...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजुदाई का गहरा भाव दिल को चीरता है ...
ReplyDeleteवाह वाह वाह
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट DREAMS ALSO HAVE LIFE.पर आपका इंतजार रहेगा। शुभ रात्रि।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट DREAMS ALSO HAVE LIFE.पर आपका इंतजार रहेगा। शुभ रात्रि।
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteशुभकामनायें .........